पत्रकारिता में चमोली के प्रकाश मेहरा ने देश-विदेश में किया नाम रोशन !


उत्तराखंड के संघर्षशील और निष्पक्ष पत्रकारिता के साथ लेखक और पत्रकार प्रकाश मेहरा ने पत्रकारिता के अपने 10 वर्षों के अनुभवों को 'WAY TO JOURNALISM' के रूप में शब्दबद्ध किया है। यह पुस्तक लगभग 150 पृष्ठों की है। पत्रकारिता से जुड़ी छोटी-छोटी और व्यवहारिक बातों को बताने का प्रयास लेखक ने इस पुस्तक के माध्यम से किया है। वर्तमान में देश विदेशों में पत्रकारिता कर रहे उन छात्रों के लिये भी है जिन्होनें अभी-अभी पत्रकारिता में कदम रखा है यह पुस्तक एक हैण्डबुक की तरह है।

पत्रकारिता के लिए हाल ही में प्रकाश मेहरा की प्रकाशित पुस्तक "WAY TO JOURNALISM" ने हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में (लंदन,कनाडा,अमेरिका आदि) भी एक नई सीख देने का प्रयास किया है जिसे काफी पसंद किया जा रहा है इस पुस्तक से पत्रकारिता को एक नई पहचान मिलने की उम्मीद है इस किताब ने सिर्फ हमारे देश का नहीं बल्कि विदेशों में भी पत्रकारिता का भी नाम रोशन किया है। 

संघर्षों के बीच पत्रकारिता 

पुस्तक के लेखक बताते हैं कि "मैंने जिन संघर्षों के बीच पत्रकारिता की और कर रहा हूं उससे मैंने काफी कुछ सीखा कि आज भी हमें एक निष्पक्ष पत्रकारिता की आवश्यकता है भले ही हमें कितने भी संघर्ष करने पड़े हमें पीछे नहीं हटना चाहिए क्योंकि जीवन का नाम ही संघर्ष है और आज हमारे देश की पत्रकारिता सबसे अलग है।"

"पुस्तक लिखने के पीछे का मकसद मेरा सिर्फ ये नहीं था कि एक निष्पक्ष पत्रकारिता क्या होती है बल्कि ये भी था कि संघर्षों के बिना कुछ भी संभव नहीं और जिसने मेहनत और संघर्ष किया है वहीं आगे बढ़ा है। पत्रकारिता से देश की जनता को कई उम्मीदें होती हैं जिस पर खरा उतरना हर किसी के बस की बात नहीं पर निष्पक्ष पत्रकारिता से हर किसी को न्याय जरूर मिल सकता है।"

निष्पक्ष पत्रकारिता से पीछे नहीं हटना 

पत्रकारिता के सफ़र की शुरुआत पर मेहरा कहते हैं कि "मैंने कई संघर्ष किए पर कामयाबी की राह हर जगह ढूंढता रहा कई संघर्षों के बाद मुझे एक नई उम्मीद मेरे भाई रोहित सरदाना ने दी उन्होंने मुझे निष्पक्ष पत्रकारिता सिखाई पर ये एक बेहद अच्छा अवसर होता है हम पत्रकारिता की ओर बढ़ते हैं और अपने देश की स्थिति को सुधारने में अपना अहम योगदान देते हैं। एक निष्पक्ष पत्रकारिता से हम अपने साथ-साथ देश की स्थिति को भी सुधारते हैं मुझे इस ओर लाने में किसी का योगदान रहा है तो वो मेरे प्रिय स्वर्गीय श्री रोहित सरदाना थे जिन्होंने मुझे हर एक मुश्किल समय में रास्ता दिखाया और चलना सिखाया कि एक निष्पक्ष पत्रकारिता क्या होती है जिन्होंने कभी हार नहीं मानी थी। जाते-जाते एक बड़ी सीख जरूर दे गए कि कभी हार मत मानना निष्पक्ष पत्रकारिता से पीछे नहीं हटना।

पांच तत्वों में निपुणता 

पुस्तक के लेखक प्रकाश मेहरा कहते हैं कि "मेरा सुझाव है कि पत्रकारों को एक साथ पांच तत्वों पर काम करना चाहिए, ताकि वे विकार, अप्रासंगिकता और बेकार काम का शिकार ना बनें. यह पांच तत्व हैं: खबर को सूंघने की शक्ति, दुरुस्त मूल्यांकन, नैतिक साहस, विषय पर पकड़ और लिखने का कौशल. आपकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप अपने पूरे कार्य जीवनकाल में खुद को इन पांच तत्वों में निपुणता पाने के लिए किस हद तक धकेल सकते हैं"

बंदूक की आवाज से भी खतरनाक विचारों की क्रांति 

वरिष्ठ पत्रकार और प्रकाशित पुस्तक के लेखक प्रकाश मेहरा कहते हैं कि "बंदूक की आवाज से भी ज्यादा खतरनाक होती है विचारों की क्रांति। क्योंकि बंदूक की आवाज कुछ देर के बाद सुनाई नहीं पड़ती लेकिन विचारों की क्रांति का असर बरसों बरस रहता है। ऐसे में विचारों को जिंदा रहने दीजिए। उन्होंने न्यायपालिका पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ काम अपनी साख बचाने के लिए भी लोग किया करते हैं जबकि आम लोगों को तारीख पर तारीख तारीख पर तारीख मिलता रहता है। ऐसे में केस लड़ने वालों से जाकर पूछे कि न्यायालय के प्रति उनकी धारणा क्या है।"

देश-विदेश में पुस्तक की सराहना

उत्तराखंड से लेकर केंद्र के तमाम मंत्रियों द्वारा और विदेशों के कई न्यूज नेटवर्क से लेखक को काफ़ी शुभकामनाएं मिली जैसे- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, तीरथ सिंह रावत (पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड), हरीश रावत (पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड), करन माहरा (उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष), बांसुरी स्वराज (लोकसभा सांसद), एके मिश्रा (राजनीतिक विशेषज्ञ), सतीश शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार) नीरज अग्निहोत्री (वरिष्ठ पत्रकार), दीपिका ओझा (पत्रकार), शूरवीर नेगी (वरिष्ठ पत्रकार), पवन गोयल (वरिष्ठ पत्रकार), अनिल कुमार (वरिष्ठ पत्रकार) शुभांकर मिश्रा (वरिष्ठ पत्रकार) राकेश कुमार झा (विदेशी मामलों के जानकार), द गार्डियन न्यूज, सागर मिश्रा (वरिष्ठ पत्रकार), अर्जुन बिष्ट (वरिष्ठ पत्रकार), द न्यू यॉर्क टाइम्स,पहल टाइम्स, समाचार भारत, हिंदुस्तान, दार्शनिक समाचार, सजेशन न्यूज, ब्राइट बिजनेस, इंडिया समाचार आदि तमाम शुभकामनाएं प्राप्त हुई जिससे भविष्य में पत्रकारिता को एक नया आयाम मिल सके। 

इस पुस्तक में कुछ ऐसे शब्द भी बताये गये हैं जिनको बोलते- लिखते समय अक्सर चूक हो जाया करती है।  मोबाइल पत्रकारिता, मोजो की शुरूआती चुनौतियों को बताते हुए वर्तमान समय में मोजो की स्वीकार्यता और सुगमता पर बात की गयी है। कुल मिलाकर पुस्तक में उन सभी पहलुओं को छूने का प्रयास किया गया है जो शुरुआती पत्रकारिता से लेकर भविष्य की पत्रकारिता में परेशान होते हैं और साथ ही अपने भविष्य को बेहतर और उज्जवल कैसे बना सकें।





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